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Sanatan_Dharma Rakshak Raja Man Singh Kachhwaha

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Sanatan_Dharma_Rakshak_Raja_Man Singh_Kachhwaha ji's centenary greetings 🙏🙏 💐💐 ● Raja Man Singh protected more than 7000 temples in Orissa including Jagannath_Mandir. ● Raja Man not only protected Gaiji, the Hindu liberation site, but also built many temples there. ● King Maan destroyed the biggest dynasty of Asia, the Afghan Sultanate of Bengal Sultanate. ● Raja Maan got Gujarat independence from Afghan rulers after 300 years ● King Mann rebuilt the Dwarkadhish temple from the mosque. ● The protector of Tulsidas was King Maan. Tulsidas was able to write Ramayana due to his patronage. ● King Maan built thousands of temples in Kashi. ● King Mann paid full respect to Meerabai, built her grand temple in her own kingdom ● King Mann devastated Afghanistan, where there had been invasions for the last 500 years. ● It was Raja Maan who protected eastern UP to Bihar and Jharkhand. ● It was Raja Man who redeemed the Somnath temple, although Aurangzeb later demolished it. ● It was Raja ...

सनातन_धर्म रक्षक राजा मानसिंह कछवाहा

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  सनातन_धर्म_रक्षक_राजा_मानसिंह_कछवाहा जी की जयंती पर शत - शत नमन ● राजा मान सिंह ने उड़ीसा में जगन्नाथ_मंदिर समेत 7000 मंदिरों से ज़्यादा मंदिरों की रक्षा की । ● राजा मान ने हिंदुओं का मुक्ति स्थल गयाजी की न केवल रक्षा की, बल्कि वहां कई मंदिर बनवाये भी । ●राजा मान ने एशिया की सबसे बड़ी शक्ति अफगान मूलवंश बंगाल सल्तनत का नाश किया ● राजा मान ने गुजरात को 300 साल बाद अफगान शासकों से आजादी दिलवाई ● राजा मान ने द्वारिकाधीश मंदिर को मस्जिद से पुनः मंदिर बनाया ● तुलसीदास का सरंक्षक राजा मान था । उन्ही के संरक्षण के कारण तुलसीदास रामायण लिखने में सफल हो पाए । ● राजा मान ने काशी में हजारो मंदिरो का निर्माण करवाया ● राजा मान ने मीराबाई को पूरा सम्मान दिया, उनका भव्य मंदिर अपने ही राज्य में बनवाया ● राजा मान ने अफगानिस्तान को तबाह करके रख दिया, जहां से पिछले 500 वर्षों से आक्रमण हो रहे थे । ● राजा मान ने ही पूर्वी UP से लेकर बिहार, झारखंड की रक्षा की ● राजा मान ने ही सोमनाथ मंदिर का दुबारा उद्धार किया था, हालांकि बाद में औरंगजेब ने इसे तोड़ डाला ●राजा मान ने ही हिंदुओ पर लगा हुआ 300 वर्ष से...

पाटण की रानी रुदाबाई ; जिसने सुल्तान बेघारा के सीने को फाड़ कर दिल निकाल लिया था

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पाटण की रानी रुदाबाई जिसने सुल्तान बेघारा के सीने को फाड़ कर दिल निकाल लिया था, और कर्णावती शहर के बिच में टांग दिया था,ओर धड से सर अलग करके पाटन राज्य के बीचोबीच टांग दिया था। गुजरात से कर्णावती के राजा थे, #राणा_वीर_सिंह_वाघेला ( #सोलंकी ), ईस राज्य ने कई तुर्क हमले झेले थे, पर कामयाबी किसी को नहीं मिली, सुल्तान बेघारा ने सन् 1497 पाटण राज्य पर हमला किया राणा वीर सिंह वाघेला के पराक्रम के सामने सुल्तान बेघारा की 40000 से अधिक संख्या की फ़ौज २ घंटे से ज्यादा टिक नहीं पाई, सुल्तान बेघारा जान बचाकर भागा। असल मे कहते है सुलतान बेघारा की नजर रानी रुदाबाई पे थी, रानी बहुत सुंदर थी, वो रानी को युद्ध मे जीतकर अपने हरम में रखना चाहता था। सुलतान ने कुछ वक्त बाद फिर हमला किया। राज्य का एक साहूकार इस बार सुलतान बेघारा से जा मिला, और राज्य की सारी गुप्त सूचनाएं सुलतान को दे दी, इस बार युद्ध मे राणा वीर सिंह वाघेला को सुलतान ने छल से हरा दिया जिससे राणा वीर सिंह उस युद्ध मे वीरगति को प्राप्त हुए। सुलतान बेघारा रानी रुदाबाई को अपनी वासना का शिकार बनाने हेतु राणा जी के महल की ओर 10000 से अधिक लश्...

मालवा का महान् योद्धा महलकदेव पँवार

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  मालवा का महान् योद्धा महलकदेव पँवार को नमन्। चक्रवर्ती सम्राट वीर विक्रमादित्य महाराज (ईसा पूर्व की प्रथम शताब्दी से लेकर) से लेकर महाराजा महलकदेव (सन् 1305 ई.) तक परमार(पँवार) राजवंश ने मालवा को विदेशी आक्रांताओं से बचाए रखा था। जब मुस्लिम आक्रामक अलाउद्दीन खिलजी ने देश के अनेक भागों पर कब्जा कर लिया तो भला मालवा उसकी नजरों से कब तक बचा रहता ? फिर मालवा तो धनधान्य से संपन्न होने के साथ ही दक्षिण का द्वार (दरवाजा) था। मालवा को विजय किए बिना दक्षिण विजय उसके लिए असंभव थी। इस पर विस्तार से डा.जे.सी.उपाध्याय ने शोध साधना के अंक में प्रकाश डाला है। (शोध साधना अंक, वर्ष 1999, अंक 14, प्रकाशक नटनागर शोध संस्थान सीतामऊ, म.प्र.) अलाउद्दीन परमारों की शक्ति और तलवार की धार से भलीभांति परिचित था इसलिए उसने अपने सबसे तेज तर्राट सेनापति ऐनुल-मुल्क-मुलतानी को दस हजार घुडसवार लेकर भेजा। महाराजा महलकदेव ने भी आवश्यक प्रबंध किए । सबसे पहले उन्होंने अलाउद्दीन की सेना को रोकने के लिए अपने भाई और प्रधान सेनापति कोका को भेजा था । कोका बहुत ही बहादुर और कुशल सेनापति था लेकिन भाग्य ने उसका साथ नहीं दिय...

तँवर / तोमर क्षत्रिय राजपुत वंश की कुलदेवी (चिलाय माता / योगमाया माता / सरूण्ड माता / मनसादेवी / शीतला माता)

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Tanwar Tomar /  तँवर तोमर क्षत्रिय राजपुत #वंश_कुलदेवी_दर्शन (चिलाय/योगमाया माता) 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 तु संगती तंवरा तणी चावी मात चिलाय ! म्हैर करी अत मात तू दिल्ली राज दिलाय !! तंवर अथवा तोमर क्षत्रियो की कुलदेवी माँ चिलाय माता का मूल स्थान मायन(बलवाड़ी) जिला रेवाड़ी हरियाणा में है, जहां कुलदेवी माता ज्वाला(योगेश्वरी) ने सफेद चील का रूप धारण करके राजा जयरथ के पुत्र बालक जाटूसिंह जी तंवर की रक्षा करी थी, उसके बाद ही तंवर राजपूतों कि कुलदेवी चिलाय माता के नाम से जानी जाती हैं। चिलाय माता जी को तोमर वंश," कुलदेवी" के रूप में पूजा आराधना करते हैं। इतिहास में तोमर वंश की कुलदेवी के अनेक नाम मिलते हैं जैसे चिलाय माता, जोग माया (योग माया), योगेश्वरी (जोगेश्वरी), सरूण्ड माता, मनसादेवी आदि।                                                                           ...

राजस्थान के राठौड़ राजवंश की कुलदेवी

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               🙏  नागणेचिया माता 🙏      इन्हें राठेश्वरी माता, चकेश्वरी माता,नागाणा माता के नाम से जाना जाता है) राजस्थान के राठौड़ राजवंश की कुलदेवी चक्रेश्वरी, राठेश्वरी, नागणेची या नागणेचिया के नाम से प्रसिद्ध है । नागणेचिया माता का मन्दिर राजस्थान में बाड़मेर जिले के नागाणा गांव में स्थित है। प्राचीन ख्यातों और इतिहास ग्रंथों के अनुसार मारवाड़ के राठौड़ राज्य के संस्थापक राव सिन्हा के पौत्र राव धूहड़ (विक्रम संवत 1349-1366) ने सर्वप्रथम इस देवी की मूर्ति स्थापित कर मंदिर बनवाया । कर्नाटक से लाई गई थी नागणेची माता की प्रतिमा राजा राव धूहड़ दक्षिण के कोंकण (कर्नाटक) में जाकर अपनी कुलदेवी चक्रेश्वरी की मूर्ति लाये और उसे पचपदरा से करीब 7 मील पर नागाणा गाँव में स्थापित की, जिससे वह देवी नागणेची नाम से प्रसिद्ध हुई। नमक के लिए विख्यात पचपदरा बाड़मेर जोधपुर सड़क का मध्यवर्ती स्थान है जिसके पास (7 कि.मी.) नागाणा में देवी मंदिर स्थित है। जोधपुर में नहीं किया जाता था नीम की लकड़ी का प्रयोग अष्टादश भुजाओं वाली नागणेची महिषमर्दिनी का स...
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  अगर आप क्षत्रिय है तो                                   एक बार पुरा #ये_लेख_पढ़ते ही आपका दिमाग खुल जायेगा....... #पोस्ट लम्बी है,पर पढ़ना बहुत जरूरी है. एक नियम है इस धरती पर , की अगर किसी को हराना है तो उसकी मानसिक स्थिति को हरादो, इससे बड़ा से बड़ा शूरवीर हार जाएगा.. एक कूटनीतिज्ञ नियम ये भी है,की जब किसी से वरावरी ना कर सको,तो उसे नीचा दिखाना शुरू कर दो,उसमे कमियां निकालना शुरू कर लो ,अपने आप कुछ दिन बाद समाज मे एक ऐसा माहौल बन जायेगा, की लोगों को उसमे कमियां दिखने लगेंगी...किंयुकि झूँठ को भी अगर बार बार बोला जाए तो वो सच दिखने लगता है......यही सब वर्तमान में भी क्षत्रिय समाज के साथ हो रहा है....और ये बहुत कुटील राजनीति का हिस्सा है. ऐसा नही है कि इस नियम का उपयोग अभी शुरू हुआ है,ये थ्योरी तो अंग्रेजो ने भी क्षत्रियों के खिलाफ उपयोग की थी,जब अंग्रेज भारत आये, और उन्होनें भारत की सम्पन्नता को देखा, तो उनके मन मे जलन शुरू हुई, और उन्होंने फिर यही खेल खेला......